Sunday, August 12, 2018

बात हर बात को नहीं कहते!

नमस्कार! मैं पं.रवि शास्त्री
1. पहले समय में बच्चों को कमरे में भी बंद रखा जाता था।
2. पहले समय में बच्चों को कमरे में भी बंदर खा जाता था।
Space matters a lot
इसी प्रकार हर बात का अर्थ व्यक्ति अपने बुद्धि, कौशल, परिवेश, समझ, परिस्थिति, नज़रिया एवं अनुभव के आधार पर निकालता है। दरअसल इसमें उस व्यक्ति का भी कोई दोष नहीं हैं वो जैसे लोगों के बीच में रह रहा है उसे जैसा माहौल मिल रहा है, जिस परिवेश में पला बढ़ा है जैसी शिक्षा उसने पाई है परिस्थिति वश जैसा अनुभव उसने महसूस किया है वैसा ही उसका नज़रिया बनता चला जाता है। ऊपर वाक्य नम्बर एक और दो में अक्षर बिलकुल समान है बस एक छोटे से रिक्त स्थान के कारण पूरी की पूरी बात का अर्थ ही उल्टा हो गया !! तो मेरे प्यारे साथियों ये कतई आवश्यक नहीं कि अबतक आपने जो भी ग्रंथ पढ़े या जो भी सीखा केवल वही अंतिम सत्य है। कुछ लोग मेरी कल वाली पोस्ट का अर्थ वाक्य नम्बर 1 के हिसाब से निकलेंगे और कुछ वाक्य नम्बर 2 के हिसाब से मगर फिर भी मैं ये दावा कतई नहीं कर सकता कि यही अंतिम सत्य है बातें अभी बाकी है मेरे दोस्त। अभी तो पार्टी शुरू हुई है!! ओके खबरों का सिलसिला जारी रहेगा लगातार नज़र बनाये रखिएगा तो मिलते हैं बातों के अगले दौर में तबतक के लिए पं.रवि शास्त्री को इजाजत दीजिए, ॥ ओ३म् सर्वज्ञ ॥

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